उझानी। नगर के समीपवर्ती गांव तेहरा में मेरे राम सेवा समिति की ओर से चल रही नौ दिवसीय श्रीराम कथा के आठवें दिन भगवान श्री राम द्वारा अहिल्या का उद्धार, भरत मिलाप, निषाद विषाद योग, सीता सुमंत्र संवाद, के केवट प्रेम, त्रिवेणी स्नान, राम बाल्मीकि संवाद, मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम युवाओं के आर्दश आदि की कथा हुई। कथावाचक सामाजिक संत श्री रवि जी समदर्शी महाराज ने कहा कि बच्चों को शिक्षा, संस्कार निस्वार्थ सेवा करना भी सिखाएं। घर को मंदिर और स्वर्ग जैसा वातावरण बनाने के लिए बच्चों को भारतीय संस्कृति, मर्यादा और परंपराओं से जोड़ें। टूटते बिखरते परिवारों को संगठित करें। हर व्यक्ति सुख की तलाश करता है, दुख नहीं चाहता। पाश्चात्य सभ्यता हमारे बच्चों को हमारी संस्कृति से दूर कर रही है। भारतीय संस्कृति ही बच्चों को संस्कारवान बनाने के साथ उन्हें सशक्त और समर्थ बनाएगी। खुशियों भरा जीवन प्रदान करेगी। उन्होंने कहा कि जब राम लक्ष्मण गुरु के साथ मिथिला के राजा जनक के यहां धनुष यज्ञ में शामिल होने जा रहे थे तो उन्हें रास्ते में एक आश्रम मिला। जहां एक विशाल पत्थर का टुकड़ा पड़ा था। राम ने जब गुरु विश्वामित्र से इसके बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि यह गौतम ऋषि का विश्रामालय है, यह जो पत्थर देख रहे हो उनकी पत्‍‌नी अहिल्या है जो श्राप बस पत्थर हो गई है। तब राम ने अहिल्या को तारना चाहा किंतु सूर्य वंश में स्त्री को पैर से छूना मना था। राम की यह दुविधा देख पवन देव ने अपने झोकों से प्रभु के चरणों की धूल पत्थर पर डाल दिया। चरण रज पाते ही पत्थर नारी हो गई। अहिल्या को प्रगट होते ही वहां ब्रह्मा, शंकर सहित अनेक देव गण पहुंच गए और भगवान राम का जयघोष करने लगे। देवाचार्य ने वेदमंत्रोंच्चारण कर पूजन कराया। मुख्य यजमान ओमवीर यादव, रजनीश गुप्ता, कृष्ण पाल गुरु, अजय तोमर, कमलेश वार्ष्णेय, डॉक्टर ब्रिजेन्द्र वार्ष्णेय रहे।शिष्य परमहंस स्वामी श्री बज्रानंद जी महाराज, हरिओम, पोषाकी लाल यादव यजमान रहे। मातृशक्तियों और देवकन्याओं ने आरती की। इस मौके पर पोषाकी लाल यादव, हरिओम यादव, पप्पू, पवन चौहान, अरविंद शर्मा, विकास चौहान, उदयवीर, आनंद मिश्रा, सुमित गुप्ता, रिंकू यादव, अवधेश, विशाल चौहान, राजू चौहान, पुष्पा देवी, कमलेश, अर्चना चौहान, शकुंतला देवी, आशा देवी, राखी, गुड्डी, सहायता शर्मा, जूही चौहान, दीप्ति तिवारी आदि मौजूद रहीं।