बदायूं, सहसवान। बता चलें आज दिनांक 20 नवंबर को नगर सहसवान के ब -विकार समाजसेवी व चिकित्सक डॉ मुनीर अख्तर उर्फ राजा के निवास स्थान पर क़ुरआन-ए – करीम की अज़मत व फजीलत तथा उसकी अहमियत बयान करने के लिए नगर बदायूं के मशहूर-व- मारूफ समाजसेवी व चिकित्सक डॉक्टर इत्तेहाद आलम की जेरे सदारत एक नशिस्त मुनक्किद हुई। नशिस्त में इस बात पर गोरो फिक्र किया गया कि आज हमारी नौजवान पीढ़ी मगरिबी तहजीब से ज्यादा मरगूब हो रही है जिससे मुआशरे में तहजीब व अखलाक के एतबार से काफी गिरावट महसूस की जा रही है। डॉक्टर इत्तेहाद आलम ने अपने बयान में कहा कि आज हमारी कोम दुनियावी तालीम हासिल करने के लिए इतनी बेताब और बेकरार है कि उसे हासिल करने के लिए तमाम मशक्कत कर रही है जो एक काबिले सताइश कदम है और दुनिया की तमाम परेशानियों मुसीबतों का हल अल्लाह ताआला ने हमें कुराने करीम में दिया है उसको पढ़ने के लिए हमारे पास वक्त नहीं है। दुनियावी तालीम एक डॉक्टर, एक वकील, एक लेक्चरर, एक इंजीनियर और एक पॉलीटिशियन बना सकती है मगर एक अच्छा इंसान एक अच्छा शौहर, एक अच्छा बेटा/ बेटी एक अच्छा भाई/ बहन अच्छा वकील अच्छा डॉक्टर अच्छा इंजीनियर अच्छा लेक्चरर और अच्छा पॉलीटिशियन सिर्फ और सिर्फ क़ुरआने करीम की तालीमात से ही बन सकता है उन्होंने कहा के दुनियावी तालीम हासिल करना बहुत जरूरी है और हमें अच्छी से अच्छी तालीम हासिल करना चाहिए मगर इसके साथ साथ हमें कुरान ए करीम को पढ़ने, समझने और उसकी अजमत को अपने दिल में उतारने के लिए भी उसका मुताआला करना चाहिए। इसके लिए समाज के उन तमाम दानिश्वर हजरात का यह अखलाकी फर्ज है कि वे अपने-अपने घर खानदान आस-पड़ोस में छोटी-छोटी नशिस्त करके बुजुर्गों तथा नौजवान पीढ़ी को क़ुरआने करीम की अहमियत अजमत व फजीलत के बारे में बताएं और कुरान-ए – करीम को मय तर्जुमे से पढ़ने के लिए प्रेरि करें। डॉ मुनीर अख्तर उर्फ राजा ने अपने बयान में कहा के कुरान-ए–करीम एक ऐसी किताब है जो दुनिया में सबसे ज्यादा पढ़ी जाती है, दुनिया के तमाम मसले व मसाइल का हल क़ुरआने करीम में मौजूद है और इसकी अजमत फजीलत के बारे में जितना बयान किया जाए उतना कम है मगर इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता के इस दौर में 30 से 60 वर्ष की आयु केअधिकतर लोग कुरान ए करीम को पढ़ना भी नहीं जानते हैं और ऐसे हजारों लोग हैं जिन्होंने 30 साल के बाद भी तौफीक मिलने के बाद कुरान-ए – करीम को पढ़ा है। हमें ऐसे लोगों को चिन्हित करके उन्हें क़ुरआने करीम पढ़ने के लिए प्रेरित करना चाहिए क्योंकि तालीम हासिल करने की कोई उम्र नहीं होती और हम में से हर एक इंसान को प्रतिदिन क़ुरआने करीम को पढ़ने का एक वक्त मुकर्रर कर लेना चाहिए भले ही दो रुकू, चार रूकू या पूरा एक पारा पढ़े, जिस तरह से हम अपनी जिंदगी से जुड़े हुए तमाम जरूरीयात को बड़ी फिक्र से पूरा करते हैं उसी तरह से हमें कुरान ए करीम को भी पूरी फिक्र के साथ प्रतिदिन पढ़ना चाहिए। डॉ मुनीर अख्तर उर्फ राजा ने कहां कि एहले सहसवान के लिए एक खुशखबरी है कि वह नसरुल्लागंज में अपने निवास स्थान के निकट सहसवान हॉस्पिटल एंड ट्रॉमा सेंटर स्थापित करने जा रहे हैं जिसमें विशेषकर एक्सीडेंटल केस में टूटी हुई हड्डियों का इलाज किया जाएगा इसके लिए अलीगढ़ के हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ अभिनव शर्मा (M.B.B.S., M.S.) और उनकी टीम तथा डेली ओपीडी अटेंड करने के लिए डॉ विशाल (M.B.B.S. ,M.S.) हॉस्पिटल में अपनी सेवाएं देंगे। हॉस्पिटल में ऑपरेशन थिएटर, प्लास्टर रूम, एक्स रे मशीन की व्यवस्था की गई है, और इसके अलावा डॉ मुनीर अख्तर की पत्नी डॉ बुशरा मुनीर (B.U.M.S.) महिलाओं के रोगों का इलाज करेंगी, इसके लिए गर्भवती महिलाओं के लिए विशेष रूप से एक लेबर रूम भी तैयार किया गया है। डॉ मुनीर अख्तर उर्फ राजा ने हमें बताया कि सहसवान हॉस्पिटल एंड ट्रामा सेंटर का उद्घाटन इंशा अल्लाह दिसंबर माह के पहले हफ्ते में किया जाएगा।नशिस्त में ककराला से तशरीफ लाए कारी तैयब साहब बदायूंसे तशरीफ लाए डेंटल सर्जन डॉक्टर सबी खान, नगर सहसवान के मौलाना अब्दुल खालिक साहब, उर्फ बब्बू, हाफिज सईद साहब, मास्टर मोहम्मद सलीम खान, डॉ सैयद गुफरान रिजवी, मुनाजिर अंसारी ने नशिस्त से मुतालिक मौजू पर अपने अपने ख्यालात पेश किए और इसके अलावा नशिस्त में आफाक अंसारी, सैय्यद मोहम्मद खालिद, रईस अहमद कुरैशी, सैय्यद तसव्वुर अली उर्फ बब्बू और मोहम्मद फैसल शामिल हुए। सबसे आखिर में मौलाना अब्दुल खालिक साहब ने दुआ करा कर नशिस्त का इख्तिताम किया।

सहसवान से सैयद तुफैल अहमद की रिपोर्ट