बदायूं। जिला अस्पताल में विकलांगों के लिए प्रमाण पत्र बनवाना बेहद कष्टदायक साबित हो रहा है। जिला अस्पताल में भयंकर भीड़ होने के कारण विकलांग प्रमाण पत्र बनवाने के लिए सुबह से लेकर शाम तक अस्पताल में खड़े होना में पड़ रहा है। अस्पताल प्रशासन की ओर से कोई व्यवस्था नहीं की गई है। एक व्यवस्था यह जरुर की गई हैं विकलांगों से मोटी रकम वसूल कर तब प्रमाण पत्र जारी होगा बिना रिश्वत लिए कोई प्रमाण पत्र जारी नहीं हो रहा है। जिसके वीडियो तेजी से वायरल हो रहे है। ऐसा इसलिए भी कर रहे है जिससे प्रमाण पत्र बनाने वाले डाक्टरों व स्टाफ की जेब भर जाए।जिसमें विकलांग प्रमाण पत्र बनवाने आए सूरजपाल पत्नी आरती गांव डलवासईदा पतसा थाना अलापुर से पांच सौ रुपए और सुरेंद्र पत्नी रामदेवी गांव पतसा थाना अलापुर से ओडियोलाजिस्ट ने ओडियोमेट्री करने के लिए तीन सौ रुपए लिए हैं। वहीं गांव नदवारी के व्यक्ति का कहना है कि अस्पताल स्टाफ रुपए मांगता है और कहता है 2 हजार रुपए सीएमओ साहब लेंगे और 2 हजार डाक्टर रियाज (हड्डी रोग विशेषज्ञ)लेंगे तब आपका प्रमाण पत्र जारी हो होगा इस बात को लेकर दिव्यांगजनों ने जिला अस्पताल गेट पर जाम लगा दिया था।जिसको एसीएमओ डाक्टर मोहमद तहसीन ने समझा बुझाकर जाम खुलवा दिया था। विकलांग बोर्ड पहले भी सुर्खियों में रहा है जिस पर अभी तक कोई अंकुश नहीं लगा है वैसे तो बोर्ड के आए दिन भ्रष्टाचार के मामले सामने आ रहे हैं। जिसका वीडियो भी वायरल हो रहा है। विकलांगों को इसलिए परेशानी आ रही हैं जिला अस्पताल प्रबंधन ने विकलांग प्रमाण पत्र बनवाने के लिए सप्ताह में एक दिन सोमवार निश्चित किया है। लेकिन इस दिन भी विकलांगों के लिए कोई विशेष सुविधाजनक व्यवस्था नहीं की गई है। विकलांगों को पहले फार्म भरने एक अलग कक्ष में लाइन लगाकर इंतजार करना पड़ता है तो वहीं शारीरिक परीक्षण कराने को घिसटते हुए दूर स्थित अन्य कक्ष में जाना पड़ता है। यहां भी विकलांग की परेशानी खत्म नहीं हो रही है क्योंकि उसे यहां भी अन्य मरीजों के साथ लाइन में लगकर ही परीक्षण कराना होता है। ऊपर से उसे डॉक्टर की झुंझलाहट का भी सामना करना पड़ता है। इतनी परेशानी झेलने के बाद भी विकलांग प्रमाण पत्र बनाने की पूरी प्रक्रिया समाप्त नहीं होती है।विकलांगों की परेशानी और रिश्वत लेने की  जुबानी सुने:सूरजपाल गांव पतसा का कहना है कि जिला अस्पताल में अपनी पत्नी का कानों का विकलांग प्रमाण पत्र बनवाने के लिए गया तो कानों की जांच कराने के ओपीडी के 17 नंबर कमरे में बैठी डाक्टरनी ने मुझसे जांच के नाम पर 500 रुपए लिए हैं।सुरेंद्र गांव पतसा ने बताया कि मैंने अपनी पत्नी का विकलांग प्रमाण पत्र बनवाने के लिए जिला अस्पताल में कानों की जांच कराने गया तो ओपीडी के कमरा नंबर 17 में जांच करने वाली डाक्टरनी बैठी मुझे 300 रुपए जांच के नाम पर लिए है।जिला अस्पताल में भयंकर भीड़ होने के कारण हम लोग दूर देहात से 100 रुपए से लेकर 150 खर्च करके विकलांग प्रमाण पत्र बनवाने के लिए जिला अस्पताल आते है और बिना खाना खाए सुबह से लेकर शाम तक अस्पताल में खड़े रहते है।और मायूस होकर घर लौट जाते हैं।जिसकीअस्पताल प्रशासन की ओर से कोई व्यवस्था नहीं की गई है ऐसे बहुत सारे लोग है जो भ्रष्टाचार के शिकार हो रहे हैं मगर अभी तक किसी भी प्रशासनिक अधिकारी संज्ञान नही लिया है।नोडल अधिकारी विकलांग बोर्ड डाक्टर प्रमोद कुमार का कहना है कि अभी तो फिलहाल मुझे यह बात मालूम नही है लखनऊ आरटीआई में आया हूं 10 नवंबर को आऊंगा तभी बात करुंगा।