बदायूं। जिला अस्पताल में विकलांगों के लिए प्रमाण पत्र बनवाना बेहद कष्टदायक साबित हो रहा है। क्योंकि उन्हें प्रमाण पत्र बनवाने सुबह से लेकर शाम तक ही अस्पताल में बैठना पड़ रहा है। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि अस्पताल प्रबंधन ने विकलांग प्रमाण पत्र बनाने की पूरी प्रक्रिया में सिर्फ स्टाफ की सुविधा का ध्यान रखा है लेकिन दूरस्थ ग्रामीण अंचल से आने वाले विकलांगों की परेशानी का बिल्कुल भी ख्याल नहीं रखा है। यही नहीं विकलांगों की इस परेशानी की ओर आज तक जिला प्रशासन सहित जनप्रतिनिधियों ने भी ध्यान नहीं दिया है। यहां बताना होगा कि विकलांगों के लिए प्रमाण पत्र बनाने की जो व्यवस्था जिला अस्पताल में है ऐसी व्यवस्था पड़ौसी जिला बरेली सहित प्रदेश के अन्य जिलों में नहीं है। विकलांगों को इसलिए आ रही परेशानी जिला अस्पताल प्रबंधन ने विकलांग प्रमाण पत्र बनवाने के लिए सप्ताह में एक दिन सोमवार निश्चित किया है। लेकिन इस दिन भी विकलांगों के लिए कोई विशेष सुविधाजनक व्यवस्था नहीं की गई है। विकलांगों को पहले फार्म भरने एक अलग कक्ष में लाइन लगाकर इंतजार करना पड़ता है तो वहीं शारीरिक परीक्षण कराने घिसटते हुए दूर स्थित अन्य कक्ष में जाना पड़ता है। यहां भी विकलांग की परेशानी खत्म नहीं होती है क्योंकि उसे यहां भी अन्य मरीजों के साथ लाइन में लगकर ही परीक्षण कराना होता है। ऊपर से उसे डॉक्टर की झुंझलाहट का भी सामना करना पड़ता है। इतनी परेशानी झेलने के बाद भी विकलांग प्रमाण पत्र बनाने की पूरी प्रक्रिया समाप्त नहीं होती है। विकलांगों की परेशानी उनकी जुबानी मैं जनपद के गांव टिकला बछेली में रहता हूं। घर से हॉस्पिटल तक ऑटो का किराया एक तरफ से 50 रुपए लगता है। अस्पताल में आकर पता चला कि प्रमाण पत्र बनवाने शाम 6 बजे तक रुकना पड़ेगा। लाइन में न लगना पड़े इसलिए सुबह जल्दी बिना खाना खाए आ गया। अब समझ नहीं आ रहा कि खाना खाने घर जाऊ या भूखे ही यहीं बैठा रहूं। क्योंकि घर वापस जाने और आने में 100 रुपए लगेंगे। अहवरन, विकलांग जिला अस्पताल में विकलांग प्रमाण पत्र बनवाने की जो व्यवस्था है वह बहुत कष्टदायक है। जो शहर व जिले के दूरस्थ अंचल से आने वाले विकलांगों को बहुत परेशानी आती है। डॉक्टर का व्यवहार भी बहुत रुखा होता है। क्यों को पेपर जमा होने के बाद भी विकलांग प्रमाण पत्र जारी नहीं हो सका जिसमें लगभग 400 मरीज विकलांग प्रमाण पत्र बनवाने को अस्पताल आए ईएनटी में लगभग 50 मरीज आखों लगभग 30 मरीज अन्य 320 मरीज विकलांग प्रमाण पत्र बनवाने जिला अस्पताल पहुंचे। यह मरीजों की जांच न होने के कारण विकलांग प्रमाण पत्र उम्मीदवारों को घर वापस लौटना पड़ा ईएनटी की ऑडियोलॉजिस्ट रेशू लगभग 2 महीने से ओपीडी नहीं कर रही हैं ईएनटी के मरीजों के से कह दिया कि प्राइवेट से जांच करा लो मरीजों ने परेशान होकर लिए प्राइवेट से अपनी जांच करानी पड़ी।

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