पशु चिकित्सा के क्षेत्र में पशुचिकित्साविदों को नवीनतम व आधुनिक जानकारी प्रदान की जाये – विधायक डॉ डीसी वर्मा

बरेली। भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, इज्जतनगर में छह दिनों तक चले” रिफ्रेशर कोर्स ऑन वेटरिनरी सर्जरी एण्ड गाइनेकोलॉजी का आज समापन हो गया। इस प्रशिक्षण में उत्तर प्रदेश के विभिन्न जनपदों से दस पशु चिकित्साविदों ने भाग लिया। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम उत्तर प्रदेश पशुचिकित्सा परिषद द्वारा आयोजित किया गया है।

समापन समारोह को सम्बोधित करते हुए संस्थान के निदेशक डॉ त्रिवेणी दत्त ने कहा कि रिफ्रेशर कोर्स से पशुचिकित्साविदों को लाभ तो मिला ही साथ ही साथ फील्ड में होने वाली पशु रोगों से संबन्धित समस्याओं के बारे में हमारे वैज्ञानिकों को भी जानकारी मिलती है इस प्रकार यह ज्ञान का आदान प्रदान है। उन्होंने कहा कि नयी शिक्षा नीति को अमल में लाने में आप लोगों का बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने कहा कि संस्थान प्रयास कर रहा है कि डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स को और बढ़ाया जाए। उन्होंने पशु चिकित्साविदों को कहा कि संस्थान पशु रोग से संबन्धित नेदानिक एवं तकनीकी विकसित करता है परंतु इसको इसके अन्तिम उपभोक्ता तक पहुंचाने का कार्य आप लोगो का है। डॉ दत्त ने उत्तर प्रदेश पशु चिकित्सा परिषद के प्रति आभार व्यक्त किया।
इस अवसर पर समारोह के विशिष्ट अतिथि तथा उत्तर प्रदेश पशु चिकित्सा परिषद के अध्यक्ष तथा मीरंगज के विधायक डा. डी. सी. वर्मा ने पशुचिकित्साविदों से कहा कि आप लोग प्रक्षेत्र में जाकर आईवीआरआई से अर्जित ज्ञान का प्रयोग करें। उन्होंने कहा कि सरकार का प्रयास है पशु चिकित्सा के क्षेत्र में पशुचिकित्साविदों को नवीनतम व आधुनिक जानकारी प्रदान की जाये इसके लिए समय-समय पर देश के विभिन्न पशुचिकित्सा महाविद्यालयों में इस तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किये जाते रहे हैं। उन्होंने कहा कि जब से पशुपालन को कृषि से अलग किया है तबसे पशुपालन में काफी परिवर्तन देखे गये हैं। उन्होंने कहा कि प्रक्षेत्र में पशुचिकित्साविदों की समस्याओं को दूर किया जा सके इसके लिए समय समय पर सुझाव मांगे गये हैं तथा उन परेशानियों को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है। अंत में उन्होंने सफल प्रशिक्षण के लिए पशु-चिकित्साविदों को बधाई दी।

उत्तर प्रदेश पशुचिकित्सा परिषद के रजिस्ट्रार डा. ए.के. श्रीवास्तव ने इस अवसर पर कहा कि परिषद लगातार इस तरह के रिफ्रेशर कोर्स का आयोजन कर रही है।जिससे पशुचिकित्साविदों को पशुचिकित्सा से जुड़ी नवीन तकनीकी से अवगत कराया जा सके। उन्होंने कहा कि इस प्रशिक्षण कार्यक्रम की रूपरेखा 2019 में तैयार कर दी गयी थी परन्तु कोविड महामारी के कारण उस समय यह संभव नहीं हो पाया।

पाठ्यक्रम निदेशक तथा शल्य चिकित्सा विभाग के विभागाध्यक्ष डा. मुजम्मल हक ने बताया कि शल्य चिकित्सा तथा पशु पुनरूत्पादन विभाग द्वारा संयुक्त यह प्रशिक्षण कार्यक्रम सफल रहा। इस दौरान प्रशिक्षणार्थियों को बडे़ पशुओं के फ्रेक्चर सम्बन्धी समाधान, फिक्सटेटर का प्रयोग, एनेस्थेसिया, ट्यूब सिस्टोटोमी, अल्ट्रासाउंड, क्रातिम गर्भाधान एवं आँखों की सर्जरी, आदि के बारे में सैद्धान्तिक के साथ – साथ प्रायोगिक प्रशिक्षण दिया गया ।कार्यक्रम का संचालन शल्य चिकित्सा विभाग की प्रधान वैज्ञानिक डा. रेखा पाठक द्वारा किया गया जबकि धन्यवाद ज्ञापन पशु पुनरूत्पादन विभाग के डा. मानस पात्रा द्वारा दिया गया इस अवसर पर पशु पुनरूत्पादन विभाग के विभागाध्यक्ष एवं पाठ्यक्रम के सह निदेशक डा. एस.के. घोष, डा. अमरपाल, डा. नवीन कुमार, डा. संजीव मेहरोत्रा, डा. अभिजीत पावडे़, डा. अभिषेक, डॉ रोहित आदि उपस्थित रहे।

सिटिल गुप्ता संपादक

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