नौतनवा महराजगंज: गुरु का शिष्य के जीवन में अधिक महत्व है। गुरु शिष्य के जीवन में वह व्यक्ति होता है । जो उन्हें अच्छी शिक्षा के साथ बहुत सी अन्य महत्वपूर्ण चीजों को सिखाता है। एक गुरु अपने विद्यार्थियों के लिए बहुत अधिक मायने रखता है। वह उनके जीवन में विकास की प्रारम्भिक अवस्था से हमारे परिपक्व होने तक बहुत अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। वह उन्हें और उनके भविष्य को देश के जिम्मेदार नागरिक बनाने की ओर मोड़ देते हैं।
गुरु का स्थान ईश्वर के ऊपर
गुरु, टीचर और मास्टर ये कुछ शब्द हैं जो हमें शिक्षा के क्षेत्र में देखने और सुनने को मिलते हैं और इनके साथ ही शिष्य, स्टूडैन्ट शब्द भी देखे और सुने जा सकते हैं।
गुरु गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूँ पांय।
बलिहारी गुरु आपने, जिन गोविंद दियो मिलाय ॥
उपर्युक्त पंक्तियों में शिष्य संशय में है कि भगवान् और गुरु दोनों खड़े हैं किसके पाँव छूने चाहिएँ, तभी उसी शिप्य को आभास हुआ कि गुरु के कारण ही भगवान् के दर्शन का सौभाग्य मिला है, पहले गुरु के पाँव छू लेने चाहिएँ। कहने का यह अभिप्राय है कि यह गुरु का पद भगवान् से भी ऊँचा माना गया है।
निष्ठावान गुरु ही शिष्य के जीवन में सुधार सकता है और गुरु के द्वारा ही शिष्य जीवन में शिखर को छू पाने में सफल हो सकता है । गुरु और शिष्य दोनों के मन में भावना का होना अति आवश्यक है। एक ओर तो बेचारा गुरु पूरे मनोवेग से शिष्यों को पढ़ाने का प्रयास करे और दूसरी ओर शिष्यों का ध्यान अन्य बातों में लगा रहे तो न गुरु को हो पढ़ाने में आनंद आयेगा और न शिष्यों का ही भला हो पायेगा। उक्त बातें
नौतनवा के अग्रवाल क्लासेज की चेयरमैन प्रिंसी अग्रवाल ने बच्चो के एक कार्यक्रम के दौरान कही,कार्यक्रम मे विभिन्न स्कूलों मैं बेहतर प्रदर्शन करने वालो बच्चो को पुरुस्कार दे कर सम्मानित किया।
पूर्वी जोशी,अरनव मिश्रा,गुनगुन सिंह,योगेश पाठक, अमृता कान्दू, मुस्कान जायसवाल, अनसीखा बेरीबल,प्रभव गोयल आदि छात्र पुरुस्कार पाकर फुले नही समाए ।
कार्यक्रम मे सरिता मिश्रा,अजय जोशी,अनूप पांडेय,निखिल गोयल सहित तमाम गण्यमान्य नागरिक मौजूद रहे ।