What? We are no one to listen to the poor… the condition of the laborers in the Asra house was miserable.

वजीरगंज क्षेत्र के कस्वा सैदपुर से एक बड़ी खबर सामने आ रही है जहाँ गरीब मजदूरों को मिले नए आसरा आवास मे आय दिन किसी न किसी दिक्कत का सामना करना पड़ता है दिक्कतों की बजह से आसरा के रहने बाले लोगों का कहना है- कि लगभग एक महीना दस दिन पहले आसरा आवास में गरीब मजदूरों को अपने परिवार के लिए एक कमरा दिया गया लेकिन जब उन लोगों ने उसमें रहना शुरू किया तो किसी के कमरे मे वारिस का पानी बजह बना तो कहीं सीलन और साथ ही किसी भी टॉयलेट में टंकी नहीं है। साथ ही साथ बता दे आपको कमरे में सीलन होने की बजह से कमरे में हल्का करन्ट भी आने लगता है। और तो और किसी कमरे में लाइट भी नहीं आ रही। ज्यादातर लोगों के पानी के टैंक फूटे हुए लगभग 204 कमरों में से 97 कमरे बाटे गए उन सभी कमरों की लाइन चोक होने की बजह से लोगों के कमरो में पानी भर जाता है। इसी तरह लोगों की टॉयलेट भी बंद हो चुकी है। मौके पर लोग अपना हाल सुनाते हुए बोले साहब हम गरीब है मजदूरी करके अपना और अपने परिवार बालो का पेट पालते है अगर किसी राज मिस्त्री से कहते हैं तो बो एक दिन के पाच सौ रुपय माँगता है जिसके चलते मजदूर का कहना है हम इतने रुपय कहाॅं से लाए जैसे तैसे मजदूरी कर हम गुजारा करते है क्या हम गरीबों की सुनने बाला कोई नहींं है।

क्या? हम गरीबों की सुनने बाला कोई नहींं…आसरा आवास मे मजदूरों का हाल हुआ बेहाल

वजीरगंज क्षेत्र के कस्वा सैदपुर से एक बड़ी खबर सामने आ रही है जहाँ गरीब मजदूरों को मिले नए आसरा आवास मे आय दिन किसी न किसी दिक्कत का सामना करना पड़ता है दिक्कतों की बजह से आसरा के रहने बाले लोगों का कहना है- कि लगभग एक महीना दस दिन पहले आसरा आवास में गरीब मजदूरों को अपने परिवार के लिए एक कमरा दिया गया लेकिन जब उन लोगों ने उसमें रहना शुरू किया तो किसी के कमरे मे वारिस का पानी बजह बना तो कहीं सीलन और साथ ही किसी भी टॉयलेट में टंकी नहीं है। साथ ही साथ बता दे आपको कमरे में सीलन होने की बजह से कमरे में हल्का करन्ट भी आने लगता है। और तो और किसी कमरे में लाइट भी नहीं आ रही। ज्यादातर लोगों के पानी के टैंक फूटे हुए लगभग 204 कमरों में से 97 कमरे बाटे गए उन सभी कमरों की लाइन चोक होने की बजह से लोगों के कमरो में पानी भर जाता है। इसी तरह लोगों की टॉयलेट भी बंद हो चुकी है। मौके पर लोग अपना हाल सुनाते हुए बोले साहब हम गरीब है मजदूरी करके अपना और अपने परिवार बालो का पेट पालते है अगर किसी राज मिस्त्री से कहते हैं तो बो एक दिन के पाच सौ रुपय माँगता है जिसके चलते मजदूर का कहना है हम इतने रुपय कहाॅं से लाए जैसे तैसे मजदूरी कर हम गुजारा करते है क्या हम गरीबों की सुनने बाला कोई नहींं है।

By Monika