हक मांगने पर की प्राचार्य ने महिला नर्स से अभद्रता
बदायूं। राजकीय मेडिकल कॉलेज में तैनात संविदा नर्सिंग स्टाफ और कर्मचारियों का 5 महीने से मानदेय नहीं मिला रहा है। जिसको लेकर कार्य स्थल पर बैठकर धरना प्रदर्शन किया। मंगलवार को इसके विरोध में स्टाफ ने कार्य का बहिष्कार कर दिया और धरने पर बैठ गए।
इधर,प्राचार्य डॉ अरुण कुमार पर स्टॉफ नर्स ने हाथापाई करने का आरोप लगाया है इस बात को लेकर संविदा नसिंग स्टॉफ और कर्मचारियों ने एसएसपी से मिलकर प्राचार्य के खिलाफ शिकायत की है। एसएसपी ने मामले की जांच करने के बाद कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है।
राजकीय मेडिकल कॉलेज में एमएन मल्टी सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड लखनऊ के अंतर्गत लगभग 315 नर्सिंग स्टॉफ और कर्मचारी कॉलेज में तैनात हैं जिसका कॉलेज प्रबंधन द्वारा 5 माह से मानदेय नहीं दिया जा रहा है और त्यौहार आने की वजह से हर कर्मचारी को रुपए की आवश्यकता होती है लेकिन कॉलेज प्रशासन कर्मचारियों की बात सुनने को तैयार नहीं है। कॉलेज
प्रबंधन किसी और प्रदाता को ठेका देना चाहता है इसकी वजह से इन कर्मचारियों का मानदेय रोककर परेशान किया जा रहा है। जबकि श्रम विभाग की गाइडलाइन स्लैब के अनुसार उत्तर प्रदेश के सभी राजकीय मेडिकल
कॉलेज में संविदा कर्मचारियों इंक्रीमेंट का लाभ मिल रहा है लेकिन प्राचार्य की है है हठधर्मिता की वजह से ना तो संविदा कर्मचारियों को मानदेय मिल रहा है ना इंक्रीमेंट लग रहा है। जबकि संविदा नर्सिंग स्टॉफ और कर्मचारी नियमित ड्यूटी कर रहे हैं।
प्राचार्य ने स्टॉफ नर्सिंग से की बदसलूकी,आरोप
राजकीय मेडिकल कॉलेज में तैनात स्टाफ नर्स शिल्पी पाल अपने स्टॉफ साथ एसएसपी कार्यालय पहुंची। जहां उन्होंने एसएसपी से मिलकर शिकायती पत्र दिया। जिसमें उन्होंने कहा कि मानदेय न मिलने के कारण धरना प्रदर्शन पर बैठेने के दौरान प्राचार्य ने हाथापाई कर अपशब्द बोलते हुए हाथ पड़कर घसीटने और नौकरी से निकलने की धमकी देने का आरोप लगाया है।
नर्सिंग स्टाफ का मानदेय न मिलने से किया कार्य बहिष्कार, तो छात्रों ने इमरजेंसी और डिस्पेंसरी में बांटी दवाई
मरीज का आरोप है कि हमने डिस्पेंसरी से दवाई ली तो हमें आधी अधूरी दवाई दी जो डॉक्टर ने पर्चे पर दवाई लिखी थी वह दवाई हमें नहीं मिली है। मरीज का कहना है कि सही दवाई न मिलने के कारण फायदा होने के वजह हमे नुकसान हो रहा है। राजकीय मेडिकल कॉलेज प्रबंधन व्यवस्था देने में नाकाम साबित हो रहा है।
राजकीय मेडिकल कॉलेज प्राचार्य डॉ अरुण कुमार से इस संबंध में फोन से संपर्क किया तो उन्होंने फोन नहीं उठाया।