बदायूं। बारिश में बरबाद हुई फसल से आपदा में पहुंचे किसान ने फांसी लगा कर आत्महत्या कर ली। किसान गरीबी में जिंदगी गुजार रहा था। उसको पात्र होते हुए भी किसी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिला था। पत्नी के इलाज में अपनी डेढ़ बीघा जमीन को गिरवी रख दिया था और उसी जमीन को पेशगी पर लेकर खेती करता था। तीन बार फसल बरबाद होने से बर्बादी में पहुंचे किसान ने मौत को गले लगा लिया। टीन शेड डाल कर परिवार के साथ जिंदगी बसर कर रहा पैंतीस साल का उदयपाल सदर तहसील इलाके के गभ्याई नगला का रहने वाला था और तीन भाइयों में दूसरे नंबर का था जिसके दोनो भाई दिल्ली में रहकर मजदूरी करते हैं।और पिता गयादीन बुजुर्ग हैं और इसी बेटे के भरोसे गांव में रहते हैं। मृतक की पत्नी गर्भवती हुई और दो बार आपरेशन से अविकसित बच्चे पैदा हुए। जिसकी वजह से डेढ़ बीघा जमीन भी बेचनी पड़ी। उसी जमीन को उगाही पर लेकर खेती की। दयनीय हालात में भी हिम्मत से ना हारने वाला उदयपाल परिस्थितियों को कड़ी टक्कर दे रहा था। उसको उम्मीद थी कि एक ना एक दिन हालात सुधर जाएंगे। शायद सरकार की नजर सीधी हो जाए तो हमारे मकान को भी पक्की छत नसीब हो जाए और सिर छुपाने को बेहतर जिंदगी नसीब हो जाए। सबसे पहले उसने उस खेत में सिवालिक की फसल की लेकिन नाले का पानी भर जाने से सारी फसल बरबाद हो गई।इसके बाद उसने बाजरे की खेती की मगर बारिश ना होने के कारण बाजरे की फसल से मिलने वाली पैदावार की उम्मीद भी धूल में मिल गई। उसने आखिरी प्रयास किया और धान की बुवाई की खेत में फसल भी अच्छी हुई थी। लहलहाती धान की फसल देख कर उसकी आंखो में चमक लौट आई थी। पूरा परिवार इस बार कुछ बेहतर होने की उम्मीद लगाए बैठा था। लेकिन बीते दिनों तेज हवा के साथ हुई बारिश में पूरे खेत की फसल पानी भरने से बर्बाद हो गई। आसपास के सारे खेत पूरी तरह बर्बाद हो गए। उसने स्थानीय प्रधान और लेखपाल से खेत में हुए नुकसान का आकलन करने की लाख गुजारिश की मगर कोई भी नही गया। तहसील स्तर का कोई भी अधिकारी फसलों में हुए नुकसान का आकलन करने नही गया जिसकी वजह से एक पाई का भी मुआवजा नहीं मिला। नतीजा यह हुआ कि हालात से लड़ने वाले उदयपाल ने आत्मघाती कदम उठा लिया और कमरे में टीन शेड रोकने को डाले गए पाइप से रस्सी के सहारे फांसी लगा कर जीवनलीला समाप्त कर ली। बेबस और बुजुर्ग पिता गयादीन दर्द भरी दास्तां सुनाने सुनाते रो पड़ा। पुत्र को खोने के दर्द से ज्यादा उसको सिस्टम की हीलाहवाली का दर्द था। लगभग अस्सी साल के गयादीन ने बताया कि बेटा परिवार के साथ टीन शेड में जरूर रहता था लेकिन स्वाभिमानी था। सबकुछ बीमारी में गवा देने के बाद भी उसने उम्मीद नहीं छोड़ी और मेहनत के दम पर हालत से लड़ रहा था। तीन तीन फसल बरबाद होने के बाद उसकी सारी उम्मीदें धाराशाई हो गई। न उसको आवास योजना का लाभ मिला, ना राशन कार्ड बना न ही फसल का मुआवजा मिला। कुछ दिनों से उदयपाल उदास रहने लगा और सोमवार को उसने अपनी जिंदगी का सूरज फांसी लगा कर अस्त कर लिया। उदयपाल की मौत का मातमी सन्नाटा गांव की गलियों में फैला हुआ है इसके साथ ही सरकार की लापरवाही को लेकर लोगो में गुस्सा भी साफ नजर आता है। उसके पड़ोस में रहने वाले राम रईस ने बताया कि उदयपाल मेहनती इंसान था। गरीबी में दिन गुजार रहा था अगर उसको सरकारी लाभ मिल जाता तो शायद वह आत्महत्या नही करता। घटना के बाद भी कोई अधिकारी पीड़ित परिवार का दर्द बांटने नही आया है।उसकी फसल बरबाद हो गई लेकिन लेखपाल तक नही आया। हर तरह से पात्र होने के बाद भी उसको किसी योजना का लाभ नहीं मिला। उसके भाई नन्हेलाल ने बरबाद हुई फसल दिखाते हुए कहा कि उसके भाई की फसल एक बार नही तीन बार तबाह हुई लेकिन एक भी बार कोई देखने नही आया। घर में मिट्टी का चूल्हा है और मकान पर टीन शेड पड़ा हुआ है सरकारी योजना के पात्र होने के बाद भी कोई सरकारी योजना का लाभ नहीं मिल सका न जाने बदायूं जिले में कितने ऐसे पात्र लोग हैं जिनको सरकारी योजना का कोई भी लाभ नहीं मिल पा रहा है।