बदायूँ। राजकीय महाविद्यालय बदायूं आजादी के अमृत महोत्सव कार्यक्रम के अंतर्गत इतिहास विभाग द्वारा महर्षि परशुराम जयंती का आयोजन किया गया जिसके अंतर्गत संगोष्ठी का आयोजन कर महर्षि परशुराम के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर विस्तृत प्रकाश डालते हुए छात्र छात्राओं को उनके जीवन से प्रेरणा लेते हुए उनके योगी एवं अनुशासित व्यक्तित्व को जीवन में आत्मसात करने की प्रेरणा का संदेश दिया गया।
राजकीय महाविद्यालय बदायूं की प्राचार्य डॉ अंशु सत्यार्थी ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत आयोजित होने वाले इन विविध कार्यक्रमों को बड़े पैमाने पर प्रचारित प्रसारित करा कर भव्य स्तर पर आयोजित करने का शुभ संदेश दिया। मुख्य वक्ता के रूप में विचार व्यक्त करते हुए इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष डॉक्टर अनिल कुमार ने महर्षि परशुराम के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि जग जग दागनी एवं रेणुका के पांचवें पुत्र परशुराम बचपन से ही कुशल एवं आज्ञाकारी पुत्र के रूप में थे अपने पिता की आज्ञा से कैलाश पर्वत पर जाकर शिव की तपस्या की एवं भगवान शिव से आशीर्वाद लेकर अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने लगे परंतु परिस्थितियों वर्ष उन्हें शस्त्र उठाने पर बाध्य होना पड़ा और 21 बार उन्होंने पृथ्वी को क्षत्रियों से मुक्त करने की कोशिश की यह न केवल उनके शौर्य गाथा की कहानी है अपितु एक आज्ञाकारी पुत्र के कर्तव्य परायणता की दीवानगी प्रदर्शित होती है भगवान परशुराम न केवल उत्तर प्रदेश में पूजनीय है बल्कि भारत के विभिन्न क्षेत्रों में उनकी पूजा अर्चना बड़े वैभवशाली तरीके से की जाती है। इस अवसर पर बोलते हुए इतिहास परिषद प्रभारी श्री श्री संजय कुमार ने अपने विचार व्यक्त करते हुए आजादी के अमृत महोत्सव की विभिन्न कड़ियों में आयोजित होने वाले विभिन्न कार्यक्रमों में इतिहास परिषद की सक्रिय भूमिका से अवगत कराते हुए अन्य कार्यक्रमों को और बेहतर तरीके से आयोजित किए जाने की बात कही।
ऑनलाइन माध्यम से आयोजित होने वाली इस विचार गोष्ठी में विभिन्न विषयों के विभिन्न संकाय ओके अनेक छात्र छात्राओं ने प्रतिभाग किया एवं महत्वपूर्ण जानकारियों से रूबरू हुए।