मौनी अमावस्या के मौके पर आज भोर से ही पवित्र नदियों के तट पर आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा है। संगम नगरी प्रयागराज हो, बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी या फिर प्रभु श्रीराम की नगरी अयोध्या, हर जगह भोर से ही बड़ी तादात श्रद्धालुओं के पहुंचने और स्नान के साथ दान-पुण्य करने का सिलसिला बना हुआ है। कोरोना संक्रमण काल में संगम के लिए शायद यह पहला मौका है जब देश या विदेश में कहीं एक साथ इतनी भीड़ जुटी है। वहां माघ मेले में तीसरे और सबसे बड़े स्नान पर्व में कोरोना के भय पर श्रद्धा पूरी तरह भारी पड़ती दिखी। रात 12 बजे के बाद अमावस्या तिथि लगते ही पावन त्रिवेणी में पुण्य की डुबकियां लगने लगीं। सुबह पौ फटने के बाद तीन घंटे पुण्यकाल में स्नान के लिए लोग संगम समेत तमाम घाटों पर जुटे।
उधर, वाराणसी में भी आज गंगा के घाटों पर स्नान के लिये श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। इस दौरान गंगा घाटों पर सोशल डिस्टेंसिंग की कमी दिखाई दी। बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने पावन गंगा में डुबकी लगाई। गंगा स्नान से पहले श्रद्धालुओं ने संकल्प लिया, फिर गंगा में डुबकी लगाकर सूर्य को अर्घ्य दिया। प्रभु श्रीराम की नगरी अयोध्या में भी मौनी अमावस्या के मौके पर सरयू नदी के तट पर आस्था का जनसैलाब उमड़ पड़ा। लाखों की संख्या में श्रद्धालु सरयू में स्नान कर रहे हैं। आस्था की डुबकी लगाने आसपास के जिलों के भी श्रद्धालु अयोध्या पहुंचे हैं। कोरोना काल के दौरान बड़ी संख्या में पहली बार सरयू के तट पर श्रद्धालु उमड़े हैं।
श्रद्धालुओं ने स्नान के बाद दान पुण्य कराने की परंपरा का भी निर्वहन किया। सरयू में स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने राम जन्मभूमि में विराजमान रामलीला, हनुमानगढ़ी में हनुमंत लला, कनक भवन व नागेश्वरनाथ समेत अन्य प्रमुख मंदिरों में दर्शन पूजन भी किया। भारी संख्या में श्रद्धालुओं के आने के चलते रामनगर की सड़कों पर यातायात व्यवस्था प्रभावित हो गई है।