बदायूं जिले का स्वास्थ्य विभाग एवं जनप्रतिनिधि योगी सरकार की फजीहत कराने में सबसे आगे।
मशीनें, वेंटिलेटर सबकुछ है लेकिन इच्छाशक्ति नहीं
महामारी में भी जनता की ईमानदारी से नहीं हो रही मदद
विभाग के पास मौजूद 113 वेंटिलेटर खुद हैं बीमार
आज पूरा देश कोरोना की भयंकर महामारी से जूझ रहा है और ऐसे में स्वास्थ्य विभाग अपनी ही व्यवस्थाओं को सुदृढ़ नहीं कर पाया है। कोविड-19 संक्रमित मरीजों को एक समय बाद वेंटिलेटर की महती आवश्यकता होती है और न मिल पाने की स्थिति में मरीज अपनी जान से हाथ धो बैठता है। बदायूं में वर्तमान में 113 वेंटिलेटर मौजूद हैं, लेकिन उनको चलाने के लिए टेक्नीशियन, डाक्टर्स एवं स्टाफ ही तैनात नहीं है जिस कारण दूसरों की जान बचाने वाले वेंटिलेटर खुद ही वेंटिलेटर पर हैं। अगर हम 113 वेंटीलेटर मशीन चलाने के लिए टेक्नीशियन डॉक्टर एवं स्टाफ की तैनाती करते हैं तो इससे बेरोजगारी की दर भी कम होगी युवाओं को रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे एवं क्या स्वास्थ्य विभाग लापरवाही के मिशन पर कार्य कर रहा है जिसके कारण जिले में लगातार मौतों का आंकड़ा बढ़ रहा है, जिसकी बड़ी वजह वेंटिलेटरों का कार्य नहीं करना भी है। यदि बदायूं के ये वेंटिलेटर कार्य कर रहे होते तो यहां के मरीजों को स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए दूसरों जनपदों पर निर्भर नहीं रहना पड़ता और अपने जनपद के ही अस्पतालों में स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर रहे होते जिससे अन्य जनपदों का लोड कम होता और वे अपने यहां के मरीजों की अच्छी देखभाल कर पाते और आज मण्डल भर में जो मारामारी मची है उससे भी काफी हद तक निजात मिल पाती, लेकिन जनपद में तैनात स्वास्थ्य विभाग के उच्चाधिकारियों का इस ओर कोई भी ध्यान नहीं है कि जनपद की स्वास्थ्य सेवायें सुदृढ़ और सुचारू हो सकें। वे तो केवल आपदा को अवसर में बदलने के लिए लगे हुए हैं और अपनी जेबें भरने वाले कार्यों को ही अंजाम दे रहे हैं।
पिछली सरकार में सांसद धर्मेन्द्र यादव ने बहुत प्रयास कर जो एक मेडिकल कॉलेज के रूप में बहुत बड़ी सौगात जनपद को दी थी, उसे मौजूदा सरकार सही ढंग से चला भी नहीं पाई। मौजूदा सरकार के पांच विधायक, दो लोकसभा सांसद, एक राज्यसभा सांसद एवं मंत्री, भाजपा जिलाध्यक्ष आदि सभी सत्ता पक्ष के होने के बाद भी स्वास्थ्य सेवाओं को पटरी पर नहीं ला पा रहे हैं। क्या यह इनकी विफलता का प्रमाण नहीं है कि स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख डॉक्टर यशपाल सिंह (सीएमओ) पर अभी क्षेत्रीय ब्रज प्रांत अध्यक्ष रजनीकांत माहेश्वरी ने भी बहुत गंभीर आरोप लगाए और सबूत के साथ मुख्यमंत्री से शिकायत भी की लेकिन उसके बाद भी कोई कार्रवाई नही हुई और अभी एक 40 प्रतिशत कमीशन मांगने का वीडियो भी वायरल हुआ उस पर भी कोई कार्रवाई नहीं हो सकी, इसलिए इस विभाग के हौंसले सातवें आसमान पर हैं और उन्हें पता है कोई कुछ भी कर ले लेकिन मेरा कुछ नही होना है।
आज जो मेडिकल कॉलेज की स्थिति है उसको लेकर जनप्रतिनिधियों की उदासीनता भी बदायूँ जिले के लोगों बहुत ज्यादा खल रही है। आखिर ऐसा क्या है कि कोई जनप्रतिनिधि इस समस्या को मुख्यमंत्री तक लेकर नहीं जा रहा है, कोई कार्रवाई नहीं हो रही है उसकी वजह से मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य और सीएमओ के हौंसले बुलंद हैं। वो वही कर रहे है जो वे चाहते हैं। जब किसी परिवार के मुखिया की असमय मौत हो जाती है तो परिवार पूरी तरह से तबाह हो जाता है, बर्बाद हो जाता है और इन खलनायकों की वजह से आज कितने लोगों की जान चली गयी, ये लोग जानते हैं कि हमारी सैलरी उतनी ही आनी है एक मरे या सौ हम क्यों ज्यादा जिम्मेदारी अपने सर पर लें। कोई कहने सुनने वाला है नहीं इसलिए और हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। इन लोगों के खिलाफ जब भाजपा के ब्रज प्रांत के अध्यक्ष, भाजपा सांसद संघमित्रा मौर्य की शिकायत पर कार्रवाई नहीं हुई तो ये समझ गए कि और कोई उनका कुछ बिगाड़ नहीं सकता।
जनता में स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर रोष है। आज का सबसे बड़ा सवाल क्या जनप्रतिनिधि जनता के लिए कुछ भी करने में समर्थ नहीं है या हर कार्य में अपना व्यक्तिगत लाभ ढूंढ रहे हैं। आज पूरे प्रदेश में फैली इस महामारी के दौर में भी जनप्रतिनिधि स्वास्थ्य सेवाओं की सुध नहीं लेंगे तो इससे जनता का आक्रोश और पनपेगा जो आने वाले समय में काफी घातक भी सिद्ध हो सकता है।