बदायूँ। अम्बियापुर क्षेत्र के गांव दबिहारी में श्री शिव गायत्री मंदिर पर चल रही सात दिवसीय श्रीमद् भगवत महापुराण कथा के चैथे दिन गायत्री महायज्ञ हुआ। भगवान श्रीराम के विवाह और धनुष यज्ञ, श्रीराम का राज्याभिषेक, राम-दशरथ संवाद, राम-कौसल्या संवाद, केकई के वचन, श्रीराम का वनवास आदि प्रसंगों का श्रवण कराया गया। श्रद्धालुओं ने भगवान श्रीराम का पूजन कर भव्य आरती की। मंदिर महंत ब्रजकिशोर तिवारी और भवेश शर्मा ने वेदमंत्रोच्चारण कर यज्ञ संपन्न कराया।
कथा वाचक सुश्री पूनम शास्त्री ने कहा भगवान श्रीराम का विवाह आर्दश विवाह था। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने गुरुजनों की आज्ञा पाकर शिव के धनुष की प्रत्यंचा चढ़ाई। आर्दश विवाह संपन्न हुआ। अभिषेक की तैयारी में अयाध्योध्या नगरी आनंदमय थी। माता केकई ने राजा दशरथ से मांगे वचनों से श्रीराम को लोककल्याण के कत्र्तव्यों का बोध कराया। भगवान श्रीराम ने चैदह वर्ष का वनवास सहर्ष स्वीकार कर वन गए। प्रभु श्रीराम ने राक्षसों का वध कर समाज को संगठित कर धर्म के मार्ग पर चलाया। मर्यादित जीवन की विचारधारा के सूत्र में बांधा। मारीच, खर, दूषण और रावण का वध कर बुराईयों का अंत किया। अत्याचारों, मुश्किलों चुनौतियों का सामना करने का अदम्य साहस भी भरा। उन्होंने कहा कि बहुमूल्य जीवन के लिए माता पिता की आज्ञा मानें। गुरुजनों से श्रेष्ठ संस्कार अर्जित कर सभ्य समाज का निर्माण करें।
इस मौके पर सुरेंद्र पाल सिंह, सुखपाल शर्मा, नारद चैहान, खिलाड़ी सिसौदिया, महावीर सिसौदिया, पवन सिंह, अशोक चैहान, सतीश, गोलू, अतुल, कालू, पुत्तू कश्यप आदि मौजूद रहे।